..बिन पानी नहीं हो रही शादी
नई दिल्ली, रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए ना उबरे मोती, मानुष, चून॥! बिना पानी मोती, मनुष्य और चूना ही नहीं रिश्तों के स्रोत भी सूख रहे हैं। वह भी देश की राजधानी दिल्ली में! पानी की कमी से कैर व मितराऊ जैसे गांवों के कई घरों में शहनाई नहीं बज पा रही। बिन ब्याहे युवकों और अधेड़ों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। हालत यहां तक पहुंच गई है कि कई परिवार तो दुल्हन खरीद कर लाए हैं। पूरे परिवार को पानी ढोते देख दिल्ली के शहरी क्षेत्र की लड़कियां तो पहले ही यहां ब्याह से कतराती थीं, वहीं अब पड़ोसी राज्य हरियाणा से भी आस टूटने लगी है। नतीजन 18 से 35 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके तकरीबन 300 से 400 युवक और अधेड़ बिनब्याहे रह गए हैं। बहू देखने को लालायित कैर गांव की गीता देवी तो इस माटी को ही कोस रही हैं। उनके 3 जवान बेटे बिन ब्याहे जो हैं। बड़ा बेटा 26 साल का है। नौकरी भी करता है, लेकिन पानी की कमी से अब तक रिश्ता न जुड़ सका। बाकी दो लड़के भी शादी के लिए तैयार हैं, लेकिन कैर गांव में रहते उनके भी फेरे होने की संभावना नहीं दिखती। गांव की ही विमला के परिवार में तो 6 लड़के ब्याह के लायक हैं। इनमें से बड़े की उम्र 36 वर्ष है। कहती हैं कि लड़कावाले रिश्ता तो लाते हैं, लेकिन लड़कों को पानी ढोते देख लौट जाते हैं। अब तो वे मजाक भी उड़ाते हैं। यह घर-घर की कहानी है। गांव के धर्मेद्र कुमार के मुताबिक 6 हजार की आबादी वाले गांव में लोग पानी की कमी से अपनी बेटियों का ब्याह नहीं करना चाहते। हालत यह है कि लोग वंश बढ़ाने के लिए अब बिहार, मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश की ओर रुख करने लगे हैं। कैर गांव में ही कुछ साल के भीतर 6 और मितराऊ गांव में 10 से 14 दुल्हनें बाहर से आई हैं। गांव के लोग ही नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि बाहर से ब्याह नहीं, बल्कि दुल्हन खरीद कर लाने के भी कई मामले हैं। वैसे बुजुर्ग चौधरी खजान सिंह, चौधरी करतार सिंह, जिले सिंह, रणवीर यादव कहते हैं कि अब तो फिर भी गनीमत है, वरना कई गांव ऐसे थे, जहां रिश्ते बिल्कुल नहीं आते थे। शादी के लिए सिफारिश होती थी। पार्षद कुलदीप सिंह डागर भी सचाई को नहीं झुठलाते। डेढ़ साल पहले उजवा में जल बोर्ड का यूजीआर स्थापित होने से आसपास के करीब 19 गांवों को पीने का पानी मिलने लगा, लेकिन शायद यह शादी के लिए काफी नहीं है!
नई दिल्ली, रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए ना उबरे मोती, मानुष, चून॥! बिना पानी मोती, मनुष्य और चूना ही नहीं रिश्तों के स्रोत भी सूख रहे हैं। वह भी देश की राजधानी दिल्ली में! पानी की कमी से कैर व मितराऊ जैसे गांवों के कई घरों में शहनाई नहीं बज पा रही। बिन ब्याहे युवकों और अधेड़ों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। हालत यहां तक पहुंच गई है कि कई परिवार तो दुल्हन खरीद कर लाए हैं। पूरे परिवार को पानी ढोते देख दिल्ली के शहरी क्षेत्र की लड़कियां तो पहले ही यहां ब्याह से कतराती थीं, वहीं अब पड़ोसी राज्य हरियाणा से भी आस टूटने लगी है। नतीजन 18 से 35 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके तकरीबन 300 से 400 युवक और अधेड़ बिनब्याहे रह गए हैं। बहू देखने को लालायित कैर गांव की गीता देवी तो इस माटी को ही कोस रही हैं। उनके 3 जवान बेटे बिन ब्याहे जो हैं। बड़ा बेटा 26 साल का है। नौकरी भी करता है, लेकिन पानी की कमी से अब तक रिश्ता न जुड़ सका। बाकी दो लड़के भी शादी के लिए तैयार हैं, लेकिन कैर गांव में रहते उनके भी फेरे होने की संभावना नहीं दिखती। गांव की ही विमला के परिवार में तो 6 लड़के ब्याह के लायक हैं। इनमें से बड़े की उम्र 36 वर्ष है। कहती हैं कि लड़कावाले रिश्ता तो लाते हैं, लेकिन लड़कों को पानी ढोते देख लौट जाते हैं। अब तो वे मजाक भी उड़ाते हैं। यह घर-घर की कहानी है। गांव के धर्मेद्र कुमार के मुताबिक 6 हजार की आबादी वाले गांव में लोग पानी की कमी से अपनी बेटियों का ब्याह नहीं करना चाहते। हालत यह है कि लोग वंश बढ़ाने के लिए अब बिहार, मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश की ओर रुख करने लगे हैं। कैर गांव में ही कुछ साल के भीतर 6 और मितराऊ गांव में 10 से 14 दुल्हनें बाहर से आई हैं। गांव के लोग ही नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि बाहर से ब्याह नहीं, बल्कि दुल्हन खरीद कर लाने के भी कई मामले हैं। वैसे बुजुर्ग चौधरी खजान सिंह, चौधरी करतार सिंह, जिले सिंह, रणवीर यादव कहते हैं कि अब तो फिर भी गनीमत है, वरना कई गांव ऐसे थे, जहां रिश्ते बिल्कुल नहीं आते थे। शादी के लिए सिफारिश होती थी। पार्षद कुलदीप सिंह डागर भी सचाई को नहीं झुठलाते। डेढ़ साल पहले उजवा में जल बोर्ड का यूजीआर स्थापित होने से आसपास के करीब 19 गांवों को पीने का पानी मिलने लगा, लेकिन शायद यह शादी के लिए काफी नहीं है!
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